8TH SEMESTER ! भाग- 45 ( Turning Point )
"कल मिलना बेटा फिर, देखता हूँ"नवीन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से फुर्र हो गया....
"अरमान ,अच्छा ये बता...हम दोनो 30 बाइक लाएँगे कहाँ से..."हॉस्टल की तरफ जाते हुए अरुण ने पुछा...
"5-5 रुपये वाली लाके खड़ी कर देंगे... हमने कहा है की ऐसी बाइक खड़ी कर देंगे... मतलब इसी डिज़ाइन का... वो तो खिलौने के रूप मे भी मिल जाएगी "
"एकदम फाड़ आईडिया.... "
सिदार उस समय ग्राउंड मे भले ही गुस्सा होकर कुछ भी बोले जा रहा था,लेकिन जब उसका दिमाग़ ठंडा हुआ तो उसे ये बात समझ आ गयी कि इलेक्शन के पहले पंगा करना एक तरह से चूतियापा होगा, इसलिए उसने वरुण और उसके चम्चो को दोबारा से मारने का प्लान इलेक्शन तक के लिए स्थगित कर दिया...मैं रात के 9 बजे तक सीनियर हॉस्टल मे रहा और खाना भी वही खाया. फिर 9 बजे उनके हॉस्टल से निकल कर बाहर आया....
हरियाली तो वैसे भी थी उसपर चलती हवा पूरे माहौल को ठंडा और खुशनुमा बना रही थी, सीनियर हॉस्टल से बाहर आकर मैने जेब से सिगरेट निकाली , साली तेज हवा मे बहुत मुश्किल से सिगरेट जली. 10 माचिस की तीलियाँ जलकर बुझ गई.. एक सिगरेट के पीछे... वो तो अच्छा हुआ किसी ने देखा नही.. वरना खामखा बेइज्जती हो जाती और जब सिगरेट जल गयी तो मैं धुआ उड़ाता हुआ उधर ही टहलने लगा, उस वक़्त उन हवाओं से दिल और मन को अच्छा ख़ासा सुकून मिल रहा था और फिर मैं अपने पास्ट और फ्यूचर के बारे मे सोचने लगा.......
मैं खुद भी ताज़्ज़ूब था कि मैं इतना बदल कैसे गया, इतनी जल्दी तो केमिस्ट्री लैब के केमिकल अपने रंग नही बदलते, जहाँ मैं स्कूल मे सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई करता था वही आज मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई को छोड़ कर सब कुछ करता था. एग्जाम की चिंता भी सताने लगी,लेकिन फिर ये सोचकर कि अभी बहुत दिन है मैने एक और सिगरेट जलाई और टॉपिक चेंज किया....स्कूल के दोस्तो की बहुत याद आती थी ,लेकिन मैं समझ गया था कि राह मे चलने वाले मुसाफिरो को एक ना एक दिन तो बिछड़ना ही होता है, अरुण भी एक दिन ऐसे ही चला जाएगा, सिदार तो बस कुछ महीनो के लिए ही कॉलेज मे है और फिर टॉपिक आकर दीपिका मैम पर जा अटका, तब तक मैं सड़क पर टहलते-टहलते काफ़ी दूर निकल आया था....
अपने किसी सब्जेक्ट का तो मैने नोट्स अभी तक नही बनाया था लेकिन दीपिका मैम के बारे मैने नोट्स बनाया हुआ था, जिसमे इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स को मार्कर पेन से हाईलाइट भी किया था और उसके अनुसार..... वो एक बिंदास और हवस की पुजारीन थी. ये बताना मुश्किल था कि वो आज तक किस-किस के साथ सोई होगी. अपने पूरे मादक जिस्म का उसने अच्छा ख़ासा इस्तेमाल किया था और रिसेस के बाद ही hod का कंप्यूटर लैब मे आना शायद उसकी वजह दीपिका मैम का जिस्म ही होगा. दीपिका मैम जहा एक तरफ हॉट थी वही दूसरी तरफ होशियार भी बहुत थी ,वो बखूबी जानती थी कि किस लड़के को कैसे फसाना है, इसीलिए फिज़िक्स लॅब मे उसने बिना जान पहचान के मेरा हाथ नरक के द्वार से टच करा दिया था...
नरक का द्वार मैने इसलिए कहा क्यूंकि... मेरे दोस्त अरुण के प्रतिपादित सिद्धांत के अनुसार... ~नारी नरक का द्वार है. मेरी इस जिंदगी मे दीपिका मैम का किरदार बड़ा अजीब था ,क्यूंकी कभी-कभी उसकी स्माइल मुझे डरा देती थी.... ना जाने वो जिस्म की प्यास मे क्या कर बैठे.... लेकिन लौंडा मैं भी कम होशियार नही था और दीपिका मैम की तरह दिमाग़ का इस्तेमाल करना थोड़ा बहुत मैं भी जानता था....उसके बाद ऐसे ही टहलते -टहलते मेरा दिमाग़ ईशा के टॉपिक मे आया, दो सिगरेट मैं ऑलरेडी पी चुका था इसलिए और सिगरेट पीने का मन नही कर रहा था,लेकिन मैने फिर भी एक सिगरेट और सुलगाई और ईशा के बारे मे सोचने लगा......
उस वक़्त पूरे कॉलेज मे शायद ऐश ~ईशा ही ऐसी थी, जिसके लिए मेरे दिल मे अरुण से भी ज़्यादा फीलिंग्स थी...ऐश के बारे मे भी मैने कुछ नोट्स बनाए थे और उसके अनुसार वो एक रिच, स्वीट, इनोसेंट और बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी...ऐश की तरफ मेरा आकर्षण इसलिए था क्यूंकी वो सेम टू सेम वैसी लड़की थी,जैसी मैं चाहता था...मुझे आज के मॉडर्न जमाने मे एक मॉडर्न गर्ल फ्रेंड चाहिए थी. जिसके स्टाइलिश हेयरस्टाइल हो, जिसके होंठ ऐसे हो कि देखते ही किस करने का मन करे, गाल ऐसे हो कि देखते ही प्यार से छुने का मन करे, आँख ऐसी हो कि उनमे डूब जाने का मन करे और वो मुझसे लड़े, जैसा कि ऐश करती थी....क्यूंकी मुझे खूबसूरत लड़कियो से लड़ने मे बहुत मज़ा आता है....
अब जब ऐश के बारे मे सोचा था तो गौतम का ख़याल आना भी लाज़िमी था, मेरी तीसरी सिगरेट भी ख़त्म होने कगार मे थी और मैं उखड़े हुए मन से सिगरेट के पैकेट से चौथी सिगरेट निकाल कर गौतम के बारे मे सोचने लगा,..गौतम भी ऐश की तरह रहीस था जो उसे देखकर ही लगता था. ऐश को लेकर शायद वो कन्फ्यूज़ था कि वो उससे प्यार करता है या नही , क्यूंकी हमारा मन अंततः एक बच्चे की तरह होता है, जिसे यदि शुरू मे मिठाई का एक टुकड़ा दिखाया जाए तो वो उसे झट से पकड़ लेता है, लेकिन यदि उसी समय मिठाई का दूसरा बड़ा टुकड़ा उस बच्चे को दिखाया जाए तो वो पहले वाले को छोड़ कर दूसरे वाले टुकड़े को पकड़ लेता है, मैं उस वक़्त कन्फर्म तो नही था लेकिन मेरे हिसाब से गौतम का केस कुछ ऐसा ही था. बचपन मे ऐश के करीब रहा तो ऐश से लगाव हो गया लेकिन जब कॉलेज आया तो उसने वही हरकते करनी शुरू कर दी ,जो एक छोटा सा बच्चा करता है....
गौतम, ऐश से प्यार भले ना करता हो,लेकिन वो उसे पसंद ज़रूर करता था... अभी तक मैं सिर्फ़ सिदार को एमटीएल समझता था लेकिन अक्सर ऐसे कई एमटीएल मिल जाते है, गौतम भी एमटीएल था, वो मेरी तरह बास्केट बॉल का धांसु प्लेयर था और उसकी आज तक बैक भी नही लगी थी और मैने उसी समय अंदाज़ा लगा लिया था कि जब कॉलेज की बॅस्केटबॉल टीम बनेगी तो एक बार फिर मेरी और उसकी तकरार होगी, साला मुझे हर फील्ड मे टक्कर देने के लिए मेरा शौतन गौतम तैयार खड़ा था...
"हां बोल अरुण..."मैने कॉल रिसीव की....
अरुण मुझसे पूछ रहा था कि मैं इतनी रात तक कहाँ हूँ, मेरे ख़याल से पहले उसने सिदार के पास कॉल किया होगा और फिर मेरे पास....
"यहीं बाहर टहल रहा हूँ..."मैने कहा...
"कहाँ है, मैं भी आता हूँ..."
"तू क्या करेगा..मैं टहलते -टहलते बहुत दूर निकल गया हूँ..."
"अमेरिका पहुच गया क्या , नौटंकी बंद कर और वापस हॉस्टल की तरफ बढ़..."
"चल ठीक है..."मैने कॉल कट करके मोबाइल जेब मे डाला और हॉस्टल की तरफ बढ़ चला....
अब टॉपिक अरुण था, अरुण एक पोलीस इनस्पेक्टर का लौंडा था और मेरा बेस्ट फ्रेंड भी,...वो हमेशा यही चाहता कि मैं भी वही करूँ जो वो करता है...रात भर उसके साथ सिगरेट पियू , दारू पीने मे उसका साथ दूं , वो ये भी चाहता था कि मैं ऐश के बारे मे सोचना छोड़ दूं,क्यूंकी वो लड़कियो पर भरोशा नही करता था, उसका कहना था कि Girls like a atm machine, जिसमे कोई भी कार्ड डालकर अपना काम निकाल सकता है, लड़कियो के लिए उसके दिल मे सिर्फ़ एक ही अरमान था, वो अधिक से अधिक लड़कियो को करना चाहता था,....
मुझे पता है, की यहाँ मौजूद लड़कियों को ये बहुत ख़राब लगेगा... पर किसी की सोच तो सोच है.. और सत्य भी सत्य है.. अब मै किसी की सोच तो नही बदल सकता, बस उसे थोड़ा कम महिला विरोधी बना सकता हूँ.. दोस्त जरूर बदल सकता था मै.. पर जैसा की मैने पहले ही बताया है , श्री अरमान दरूहा हो सकता है, लेकिन धोखेबाज नही.....🤴
"इधर देख बे कुत्ते..."अंधेरे मे अरुण ने मुझे आवाज़ दी , वो थोड़ी ही दूरी पर था ....
"इतनी रात को क्या जंगल की चौकीदारी कर रहा है...."जब मैं उसके पास गया तो वो मुझसे बोला"चल एस.पी. के बंगलो की तरफ से घूम के आते है..."
"मूर्ख है क्या, पोलीस वाले डंडा पेल देंगे पिछवाड़े मे ..."
"आजा... कुछ नही होगा, अरुण सर के रहते हुए "अरुण ने मेरा हाथ पकड़ कर ज़बरदस्ती मुझे घसीटा....
"वो बोर्ड देख रहा है, एस.पी. के घर के बाहर..."जिसपर एस.पी. का नाम लिखा हुआ था,उसे देखकर अरुण बोला...
"M. L. Dangi , पोलीस अधीक्षक..."
"एक दिन वहाँ मेरा भी नाम होगा और तू ऐसे ही मेरे घर के बाहर खड़े होकर ,बोर्ड पर लिखा नाम पढ़ेगा ...अरुण कुमार, आइपीएस ऑफीसर... "
" खा मत यार तु और बता मुझे बुलाया क्यूँ है..."
"फिज़िक्स पढ़ कर बोर हो गया था ,तो सोचा की टाइम पास करूँ..."
"यदि तेरा टाइम पास हो गया हो तो अब वापस चले...."
"ऐश से तेरी बात कहाँ तक पहुंची ..."वापस लौटते समय बीच रास्ते मे उसने पुछा...
"इनीसयल स्टेट मे है..."
"मैं बोल रहा हूँ ,तुझे...छोड़ दे उसको, इन लड़कियो को तू नही जानता...."
"जैसे तेरे पास लड़कियो को बनाने वाली फैक्ट्री हो, जब देखो तब फेक्ता रहता है..."
"देख अरमान,..."अरुण वही रास्ते मे खड़ा हो गया और बोला"दुनिया मे लाखों लड़कियो का प्यार सिर्फ़ मतलब का होता है,, इन लड़कियों का दिल हम लड़को की तरह नही होता... ये बहुत ही शातिर, चालक और काम निकालने के मतलब से प्यार करती है... उन लाखों लड़कियो मे से कुछ ही लड़किया ऐसी होती है ,जिनका लव लेफ्ट साइड वाला होता है और ऐश -गौतम का लव लेफ्ट साइड वाला है..."
"तुझे फोन करके उसने बताया क्या..???."वहाँ से आगे बढ़ते हुए मैने कहा....
"तेरा दिमाग़ सटक गया है क्या, या फिर तू अँधा हो रेला है... ईशा को कभी देखा है कभी दूसरे लड़के की तरफ देखते हुए....? या फिर गौतम को किसी दूसरी लड़की की तरफ देखते हुए...? दोनो स्ट्रॉंग बॉन्ड मे बँधे हुए है, उन्हे कोई ब्रेक नही कर सकता...."
"उस बॉन्ड को फटत ले गरम कर दो, टूट जाएगा और मैं वही करने वाला हूँ...."
"सिंपल लॅंग्वेज मे एक्सप्लेन कर सकता है क्या "
"विभा, किस दिन काम आएगी....उसे स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद है, "
"मेरी भी सेट्टिंग जमा ना, उससे..."
"पहले मेरा काम तो निपट जाए..."
जिस दिन मैने ऐसा करने का सोचा था ,शायद उसी दिन मैने खुद को अपनी ज़िंदगी का विलेन बना लिया था, मुझे ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहिए था,किसी हालत मे नही करना चाहिए था...लेकिन मैने किया , पुरे दिल से किया... पूरा दिमाग़ लगाकर किया....
आख़िर कार वो दिन आ गया जिसका इंतेज़ार हम सभी कॉलेज वालो को था, इलेक्शन आज ही था और मैं आज भी क्लास से बंक मार के सिदार के साथ घूम रहा था, अरुण आज भी मेरे साथ था.....मैने जैसा सोचा था, वैसे ही दो लड़को को सिदार ने खड़ा किया था, हमारा प्लान गौतम और वरुण को समझ तो आया ,लेकिन बहुत देर मे आया....अभी इस वक़्त जहाँ वोटिंग पड़ रही थी, मैं वहाँ सिदार के साथ बैठा हुआ था...हमारी पार्टी के कुछ और लड़के भी वहाँ साथ मे बैठे थे...
वरुण भी वही साथ मे दूसरी तरफ गौतम के साथ बैठा हुआ था,उनके साथ भी कुछ लड़के थे....अक्सर हम सबकी निगाहे अनायास ही एक दूसरे से मिल जाती और आँखो ही आँखो मे हम ज्वालामुखी उतार कर सामने वालो को जान से मारने की धमकी देते.....वो आख़िरी स्टेज था वोटिंग का और आज शनिवार भी था इसलिए आज कॉलेज जल्दी ख़त्म हुआ....
कॉलेज ख़त्म होने के बाद ऐश भी गौतम के पास वहा आई, जहा दोनों पार्टीज अपना -पना रुतबा दिखाने के लिए बैठे हुए थे और गौतम को अपने साथ घर जाने के लिए कहा....
"कुछ देर रूको, फिर चलते है..."गौतम के जवाब पर ऐश इधर उधर देखने लगी और इसी इधर उधर देखने के दौरान, उसकी नजर मुझपर पड़ी ,लेकिन उसने मुझसे अपनी नज़रें ऐसी हटा ली ,जैसे की वो मुझे फर्स्ट टाइम देख रही हो...?
और मुझसे बिल्कुल भी अनजान हो.. पर मुझे वो आज भी हर दिन की तरह बहुत प्यारी लगी, उसे देखते ही लेफ्ट साइड भी धड़का और दिल किया की उसे जल्दी से जाकर अपनी बाहो मे समेट लूँ,लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया...मैं वही सिदार के साथ अपने पार्टी वाले लोगो के साथ बैठा रहा....वो आज भी हर दिन की तरह सीधे मेरे दिल मे उतर रही थी, वही भूरी आँखे, वही भूरे बाल..... मतलब उसे देखकर मेरी मोहब्बत मेरा कलेहा चीर कर बाहर निकल रही थी......
"उससे बात करने का मन कर रहा है...."मैने अरुण से कहा...
"चुप साले, लफडा करेगा क्या..."
"कुछ जुगाड़ जमा ना भाई..."
"कोई जुगाड़ नही है, यदि तूने ऐसी हरकत की तो पहले गौतम तुझे मारेगा और उसके बाद मैं तुझे जान से मार दूँगा...."
जब कुछ जुगाड़ नही हुआ तो मैने अपना मोबाइल निकाला और उस दिन कैंटीन मे ऐश को तीन- तीन लैंग्वेज मे बोले गये आइ लव यू ,के वीडियो को देखने लगा....
ईशा जब तक वहाँ रही मैं उसे देखता रहा, कभी छुप-छुप के ,तो कभी डाइरेक्ट्ली....लेकिन हर वक़्त निगाह उसी पर टिकी रही और फिर.....वो चली गयी...... गौतम के साथ...उसने जाते वक़्त एक बार भी पलट कर नही देखा.....उसकी दुनिया जैसे घर से निकलकर गौतम मे ख़त्म हो जाती थी उसे बाकियो से कोई मतलब ही नही था की बाकी क्या कर रहे है, क्या नही कर रहे है... .उसे शायद इसकी भी परवाह नही थी कि मैने उसे एक हफ्ते तक क्यूँ परेशान किया.... वरना वो मुझे ऐसे इग्नोर नही करती....
"किस्मत ही खराब है..."ऐश और गौतम के जाने के बाद मैने सामने वाली टेबल पर ज़ोर से अपना हाथ दे मारा....
"तोड़ दे, टेबल को... पैसा भरना फिर... तब तो फट के हाथ मे आ जाएगी..."
और उसके बाद मैने सच मे वो टेबल तोड़ दिया, वहाँ मौजूद सभी लोग चौक गये, सिदार और बाकी सीनियर्स वहाँ से जा चुके थे, बस हम कुछ ही लड़के वहाँ बैठे थे....जब मैं गुस्से से टेबल तोड़ रहा था तो कई लड़को ने अरुण से ये भी पुछा कि मैं ऐसा क्यूँ कर रहा हूँ, तो अरुण ने उन्हे जवाब दिया कि मैं इलेक्शन जीतने की खुशी मे एडवांस मे ही टेबल तोड़ रहा है.......
"बस हो गया या कुछ और करने का विचार है..."मैं जब शांत हुआ तो अरुण ने मुझसे पुछा"सिगरेट पिएगा..."जवाब मे मैने सिर्फ़ अपना हाथ उसकी तरफ किया.....
इलेक्शन ख़त्म हुआ तो सोचा कि थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई अब हो जाएगी,लेकिन तभी फ्रेशर पार्टी सर पर आ गयी........................
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:39 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:43 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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